कठपुतली गुस्से से उबली बोली - ये धागे क्यों हैं मेरे पीछे आगे ? तब तक दूसरी कठपुतलियां बोलीं कि हां हां हां क्यों हैं ये धागे हमारे पीछे-आगे ? हमें अपने पांवों पर छोड़ दो, इन सारे धागों को तोड़ दो ! बेचारा बाज़ीगर हक्का-बक्का रह गया सुन कर फिर सोचा अगर डर गया तो ये भी मर गयीं मैं भी मर गया और उसने बिना कुछ परवाह किए जोर जोर धागे खींचे उन्हें नचाया ! कठपुतलियों की भी समझ में आया कि हम तो कोरे काठ की हैं जब तक धागे हैं,बाजीगर है तब तक ठाट की हैं और हमें ठाट में रहना है याने कोरे काठ की रहना है